कमाने के लिए कर रहे बस से सफर
मेरे मरने या जीने का क्या कीमत
जब मेरे शाशनाधीस ही बेखबर।।1।।
जब मर्जी बंद,जब मर्जी खोल देते हैं
चुनाव में खुलेआम रोड सो करते हैं
हमें महामारी का हवाला देकर
पुलिस प्रशासन खूब धुनते हैं।।2।।
रोजगार का हवाला देकर घर बुलाते हैं
कोई काम मांगने जाओ धक्का देते हैं
घर में खाने पीने का कोई समान नहीं
पत्नी भी रुपया के लिए गाली देती हैं।।3।।
नेता और बीबी में अद्भुत समानता है
एक धक्का देते हैं तो एक गाली देती हैं
दोनों में किसी को कितना भी कह दो
वो मेरे एक भी बात कहां सुनते हैं।।4।।
~© तरूण यादव रघुनियां, मधेपुरा
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