और जग में भगवान पुरुषोत्तम कहलाए।।
माता पिता के आदेश को स्वीकार किए
और वन गमन के लिए सहर्ष प्रस्थान किए।।
भाई भाई में कैसा रिश्ता हो यह बता दिए
14 बरस एक खड़ाओ से राज चला लिए।।
प्रजा की भलाई के लिए अर्धांगिनी को निकाल दिए सबके लिए एक न्याय हो एक ऐसा प्रमाण पेश किए।।
पुत्र आज्ञाकारी हो यह सिद्ध कर दिखला दिए माता-पिता को कोई दुख ना हो हर कष्ट अंगीकार किए।।
पति पत्नी कैसा कैसा रिश्ता 14 बरस का साथ चले राजमहल का सुख छोड़कर बनवासी का वेश स्वीकार किये।।
हे राम चरित तेरा पावन हैं सबने स्वीकार किये
जीवन दर्शन का कला जन जन पहुंचा दिये।।
दुष्ट रावण के घर जाकर उनका संघार किए
अंधकार और प्रकाश का शंखनाद किए ।।
अज्ञान पर ज्ञान का एक संदेश दिए
सभी के मन के मलिन को दूर किये।।
👉सभी को रामनवमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
~© तरूण यादव रघुनियां
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
kumartarunyadav673@gmail.com