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रविवार, 5 सितंबर 2021

नसीब में नहीं तू

क्या दुनिया क्या पुर्णिया सब व्यर्थ है।
तू नहीं तो जिंदगी का क्या ही अर्थ है।।

भूल जाओ जो था सब सपना था।
गुजरा वक्त सच में नहीं अपना था।।

वादे,इरादे, हंसने वाली बातें सब टूट गया।
जब मेरा मुकद्दर ही मुझसे रूठ गया।।

नसीब  के आगे किसका चलता है।
यहां सब उनका जिंदा कठपुतला है।।

जो पहले का दौर था वैसे नहीं चलना।
खुश रहो, आबाद रहो, हंसते ही रहना।।
~तरूण यादव रघुनियां

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