मेरा जिंदगी तो शानदार आसान था।।
जबसे बात को जाना हूं उसको माना हूं
अब दिन और रात का चैन खो गया
पता नहीं यह मुझे क्या हो गया।।
चारों ओर झूठी बात का शोर है
उसी पर जोड़ है
पता नहीं अब इसका क्या निचोड़ है।।
सोच सोच कर घबरा रहा हूं
क्या कहूं दर्द बता रहा हूं
सच तो छुप गया झूठ की परछाई में
हम तो घुंट घुंट मर रहा हूं रजाई में।।
~तरूण यादव रघुनियां
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