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सोमवार, 6 जून 2022

पुर्णिया की बात पुरानी नहीं -कविता

पुर्णिया की बात पुरानी नहीं जानी पहचानी हो गई
अब अपनी शुरु एक नयी कहानी हो गई।।
पुरानी बात को भूलकर नई जिंदगानी हो गई।
मैं अब स्वीकार करता हूं तू मेरी दीवानी हो गई।।
वादा करता हूं तुझे नहीं छोड़ेंगे
तुझसे मुंह न कभी मुंह मोड़ेंगे
सचमुच में तू मेरी दिलजानी हो गई।
तेरी मेरी शुरू एक नयी जिंदगानी हो गई।।
तुमसा कोई मिली नहीं, बेकार की परेशानी हो गई।
पुरानी बात को छोड़ो, किस्सा पुरानी हो गई।।
ना किसी का हुआ,ना किसी की है अब तुम भी मान गई।
बस कुछ दिन इंतजार कर
रिश्ता खानदानी हो जायेगी।।

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