मेरी मां बहुत प्यारी है राज दुलारी हैं
मेरे लिए सबकुछ से प्यारी है
जब मैं सवेरे जागता नहीं
वह मुझे जगाती है
अगर मैं नहीं जागू तो
ठोक ठोक के उठाती है
खाने जाऊं तो
अपनी प्यारी हाथों से हमें खिलाती है
अगर कहीं कंठ में कुछ फस जाए
तो माथा को सहलाती है
मेरी मां बहुत प्यारी है राज दुलारी है
मेरे लिए सबसे प्यारी है
जब मैं कहीं जाता हूं
तो आस लगाए बैठे रहती है
जब तक नहीं आऊं
तो नैन बिछाए रहती है
मेरी मां बहुत प्यारी है राज दुलारी है
जब मैं सोने जाता हूं
तो वह हमें शहला सहलाकर
बिस्तर पर सुलाती है
लोरियां सुनाती है
जब मैं सो जाता हूं तब वह सोती है
मेरी मां बहुत प्यारी है राज दुलारी है
अगर मैं किसी संकट में होता हूं
तो दिन रात को चिंता में डूबी रहती है
जब तक ठीक ना हो जाओ
देवता पितर को पूजती है
मेरी मां बहुत प्यारी है राजदुलारी है
जब मैं गुस्सा जाता हूं
तो बहुत अनुनय विनय कर पुकारती है
अगर उससे रूठ जाऊं
तो मनाती है
अपने हाथों से खिलाती है
मेरी मां बहुत प्यारी है राज दुलारी है।।
गोद में बैठा कर वीर गाथा सुनाती हैं
आदर्श संस्कार देकर
जीवन को संवारती है
एक आस लगाए बैठी रहती
भगवान से प्रार्थना करती
मेरा बेटा कुछ कर जाए
हमेशा यही सोचती रहती
मेरा बेटा नाम कमाए
जो हमेशा ऐसा सोचती रहती
हमेशा भगवान को पूजती रहती
मेरी मां बहुत प्यारी है राजदुलारी है
दुनिया में हमें सबसे प्यारी है।।
रविवार, 14 जनवरी 2018
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
आनंद और मंगल की जड़ सत्संग हैं -संत सदगुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज
बीसवीं सदी के महान संत सदगुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज का प्रवचन को पूरा देखें 👇🙏👇 🙏🕉️ *जय गुरूदेव* 🕉️🙏 आनन्द और मंगल की जड़ : ...

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
kumartarunyadav673@gmail.com