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शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2018

राह

राह  राह देखती रहती
राही की राह देखती रहती
सदा दो वनो के बीच बनी रहती
हमारा सदा इंतजार करती
आते जाते वक्त वह खड़ा रहती
दूर जाते तो खड़ा होकर इंतजार करती
मेरे लिए प्रकाश बनी रहती
अंधेरे में उजाले बनकर
दिन मेंचौराहे बनकर
अनाथों सी खड़ी रहती
बीचो-बीच पड़ी रहती
मेरे आने से खुश रहती
नहीं आते तो अनाथों जैसी पड़ी रहती
लोगों को देख कर डरी रहती
नालों बगल खड़ी रहती
होरन के हुंकार  से बिजली के चकाचौंध से
टमटम के टमटमाहट से
मौन होकर देखती रहती
मेरा बेसब्री से इंतजार करती
राह राह देखती रहती
राही की राह देखती रहती

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