यहां पर आप को दुनिया का सबसे शानदार और रोचक तथ्य के बारे में बताया जाएगा और हिंदुस्तान के अलावा पूरा विश्व के बारे में

मेरे बारे में

Breaking

मंगलवार, 9 अप्रैल 2019

संसार में मनुष्य दुखी क्यों हैं?

1.संसार में दुखी क्यों है ?
2.दुख का कारण क्या है ?
3.दुख क्यों बढ़ रहा है ?
4.दुख की ओर से क्यों नहीं हट रहा है ?
इस सब का कारण कब दूर होगा ?
👉संसार में सब दुख से निवारण चाहता है।
 लेकिन उसका जो असली उपाय है कोई नहीं करता है दुख का कारण है लोभ मोह। जिसके मन में लोभ मोह बढ़ता रहेगा वह संसार में दुख ही दुख भोगता रहेगा ।*🧘‍♂️अगर उसके मन में त्याग की भावना आ जाए वह दुख से दूर जाने का प्रयास जरूर कर रहा है।* संसार में दुखी सब है और दुख का निवारण इच्छा की त्याग से होगा इच्छा का त्याग कैसे होगा तो सांसारिक ओर जो लगा हुआ मन है उससे पीछे मोड़ ना होगा और
 इस मन को पीछे कैसे मोड़ते तो साधना के द्वारा।
 साधना कैसे करेंगे ?
तो जो संत सद्गुरु के शरण में जाकर के साधना पद्धति जानेंगे तब साधना कर सकते हैं और
साधना के किस विधि के द्वारा मन को मोड़ा जा सकता है ?।यह भी संत सद्गुरु की शरण में जाकर ही जानेंगे और साधना करके उस पराकाष्ठा की ओर जब चलेंगे तो मन का मुड़ना शुरू हो जाएगा और जब मन का मरना शुरू हो जाएगा तो स्वत ही दुख का अनुभव घटता जाएगा और सुख की अनुभूति होने लगेगी और जो जो साधना करेंगे दुख घटता जाएगा और वह साधना क्या है?
 सद्गुरु बताते हैं कि मन को वह यह संसार से मोरने के लिए पहले मन पर काबू करने के लिए "मानस जप कीजिए" मानस जप करने से मन पर लगाम लगता है और जब मन पर लगता है तो मन धीरे-धीरे स्थिर होने लगता है जो साधक जो मनुष्य साधना के द्वारा मानस जप के द्वारा निरंतर आपको करते रहता है तो उसका मन धीरे धीरे काबू होने लगता है जब मन स्थिर होने लगता है तो दुख की कमी होने लगती है और इसी क्रम में जब मन स्थिर होने लगे तो समझिए अब दुख का विदाई होने लगा है और मानसिक जप के बाद मानस ध्यान करते हैं मानस ध्यान में जब मन स्थिर हो करके जिस स्वरुप का बोले हैं ध्यान करने के लिए अगर वह स्वरूप आपके मानस पटल पर आने लगते हैं तो समझिए आप और दृढ़ हो गए हैं कि दुख को भागना पड़ेगा उसके बाद जब मानस पटल पर झिलमिलाते हुआ भी आ जाए तो सोचिए हिम्मत रखिए और" यह कार्य हिम्मतवाले का है" और उसे झिलमिलाते हुए स्वरूप को आप शुद्ध स्वरूप में लाने का प्रयास कीजिए और शुद्ध तो आप उससे आगे पढ़िए उसको मन ही मन अपना समर्पण व्यक्त कीजिए और फिर उस स्वरूप को छोड़ कर के दोनों भौहों के बीच में एक टक से देखिए किस तरह से दुख को भगाना है जब एक टक से देखिएगा देखते-देखते मानस जप से तो पहले मन स्थिर होता है और मानस ध्यान से मन और ज्यादा स्थिर होता है एकाग्र होता है जब दृष्टि साधन करते हैं तो इससे जब दोनों भौहों के बीच में बिंदु का उदय होता है अर्थात जब दृष्टि योग की क्रिया शुद्ध रूप से होने लगता है और ज्योति की में बिंदु का उदय होता है तो सोच लीजिए आप दुख का आधे जड़ को काट दिए हैं और इस तरह आप दुख से निवृत्ति को पा सकते हैं और यह करम आप करते रहिए आप से दुख का निपटारा हो सकता है और सुख की अनुभूति भी बढ़ती जाएगी और संसार में यह क्रिया प्रत्येक मानव को करना चाहिए अगर जब तक नहीं करेंगे तो सबको हर घर में हर समाज में हर देश में हर गांव में यह दुख व्याप्त है और इसका यही एकमात्र उपाय है वैसे तो सभी मानव अपना कर्म करके परिश्रम करके अपना पालन पोषण करते हैं इतना करने के बावजूद भी वह दुखी रहते हैं चाहे किसी भी देश में हो किसी भी देश में हो चाहे कोई भी स्थान पर क्यों ना हो उसको दुख होता ही है और वह दुख का एक मात्र यही उपाय है इस दुख से छुटकारा पाने का एकमात्र साधन है संत सद्गुरु की शरण में जाकर के उनके बताए हुए मार्ग पर चल कर के और जो साधना पद्धति का जिक्र किया गया है उसको मनोयोग पूर्वक एकाग्र चित्त होकर करते हैं तो जरूर ही वह दुख से लड़ सकते हैं और जो दुख से नहीं लड़ते हैं वही जिंदगी से हार जाते हैं अगर आपको विजेता बनना है तो सद्गुरु की शरण में जाकर के दुख को हराना होगा नहीं तो आप उसके दुख के बोझ से दबी जाएगा आपका जिंदगी संग होता जाएगा और खुद ही एक दिन वह दुख आपको पूरा दुखी करके परिवार को भी दुखी करके चैनल ले लेगा इसलिए सावधान दुख से छूटने का उपाय कीजिए तब जाकर के आपको सुख मिलेगा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

kumartarunyadav673@gmail.com

अंतर अजब बिलास-महर्षि हरिनंदन परमहंस जी महाराज

श्री सद्गुरवें नमः आचार्य श्री रचित पुस्तक "पूर्ण सुख का रहस्य" से लिया गया है।एक बार अवश्य पढ़ें 👇👇👇👇👇👇👇👇 : प...