भगवान बुध्द हमेशा अपने शिष्यों को उपदेश दिया करते थे और उपदेश के माध्यम से सभी भिक्षुओं में वह जागृति लाना चाहते थे जिससे कि उसका जीवन सात्विक रहे वृत्ति शांत रहे इसी के सिद्धांत पर एक प्रसंग है एक बार भगवान बुद्ध आनंद को संबोधित करते हुए अपना वार्तालाप को जाहिर करते हैं और वहां पर वार्तालाप सभी भिक्षुओं के लिए प्रेरणा स्रोत था भगवान बुध से आनंद ने पूछा कि
" स्त्रियों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए
तो भगवान बुद्ध ने उत्तर दिया उसे नहीं देखना चाहिए
उसके बाद अगला प्रश्न करते हैं
"अगर कोई देखने में आ जाए तो क्या करना चाहिए"
तो उस पर भगवान बुद्ध ने उत्तर दिया
कि" उनसे आलाप नहीं करें"
अर्थात बात उनसे नहीं करें
उसके बाद आनंद ने फिर प्रश्न किया कि
अगर वह स्त्री बात करना चाहती हो
तब तो इस पर भगवान बुद्ध का उत्तर था कि
" होश में वृत्ति को शांत रख कर बात करना चाहिए "
जिससे कि आपका मनोभाव विचलित नहीं हो
संयम रह करके बातचीत करना चाहिए
भगवान बुद्ध का यह उपदेश आनंद मात्र को उपदेश करना नहीं था
इसके माध्यम से आनंद के माध्यम से पूरे भिक्षु को उपदेश कर रहे थे
कि किस तरह से स्त्रियों के साथ व्यवहार करना चाहिए या बातचीत करना चाहिए जिससे कि भिक्षुओं का वृत्ति शांत रहे और वह साधना कर सके प्रभु की भक्ति कर सके और ऐसा ही उपदेश हमेशा दिया करते थे जिससे आज एशिया का किरण पुंज है और उसके मार्ग पर जो चलते हैं वह मुक्त हो जाते हैं आवागमन के चक्र से छूट जाते हैं।।
" स्त्रियों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए
तो भगवान बुद्ध ने उत्तर दिया उसे नहीं देखना चाहिए
उसके बाद अगला प्रश्न करते हैं
"अगर कोई देखने में आ जाए तो क्या करना चाहिए"
तो उस पर भगवान बुद्ध ने उत्तर दिया
कि" उनसे आलाप नहीं करें"
अर्थात बात उनसे नहीं करें
उसके बाद आनंद ने फिर प्रश्न किया कि
अगर वह स्त्री बात करना चाहती हो
तब तो इस पर भगवान बुद्ध का उत्तर था कि
" होश में वृत्ति को शांत रख कर बात करना चाहिए "
जिससे कि आपका मनोभाव विचलित नहीं हो
संयम रह करके बातचीत करना चाहिए
भगवान बुद्ध का यह उपदेश आनंद मात्र को उपदेश करना नहीं था
इसके माध्यम से आनंद के माध्यम से पूरे भिक्षु को उपदेश कर रहे थे
कि किस तरह से स्त्रियों के साथ व्यवहार करना चाहिए या बातचीत करना चाहिए जिससे कि भिक्षुओं का वृत्ति शांत रहे और वह साधना कर सके प्रभु की भक्ति कर सके और ऐसा ही उपदेश हमेशा दिया करते थे जिससे आज एशिया का किरण पुंज है और उसके मार्ग पर जो चलते हैं वह मुक्त हो जाते हैं आवागमन के चक्र से छूट जाते हैं।।
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