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शनिवार, 13 अप्रैल 2019

अभ्यास की महिमा

आप लोगों के बीच एक प्रसंग रखने जा रहा हूं यह प्रसंग उस समय का है जिस समय हमारे देश पर अंग्रेजों का शासन था और एक बार प्रयागराज के गंगा किनारे के तट पर स्वामी दयानंद सरस्वती मां के विकराल और विकट ठंड के मौसम में भी केवल एक लंगोट पहन कर घूमा करते थे और रहते थे अपना ध्यान साधना क्या करते थे संजोग से उसको घूमने के क्रम में एक अंग्रेज और सर मिलता है और उससे प्रश्न करता है कि इस विकट ठंड के परिस्थिति में भी आप सिर्फ एक लंगोट पहन कर घूम रहे हैं क्या आपको ठंड नहीं लगता है जबकि मां दसदस कपड़ा पहना हुआ हूं और हमको फिर भी ठंड महसूस हो रहा है तो इस पर स्वामी दयानंद ने जवाब दिया कि यह अभ्यास का परिणाम है अगर आप अभ्यास करेंगे तो हर कार्य  मुमकिन हो सकता है और उसी का नतीजा है कि आज मैं सिर्फ एक लंगोट पहन कर के घूम रहा हूं और ठंड नहीं लग रहा है अभ्यास करते करते अध्यक्ष हो गए हैं और पता नहीं चलता हैं ।

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