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शनिवार, 18 मई 2019

एक सेकेण्ड में पाप से मुक्ति

जब मनुष्य जन्म लेता है तो वह अपने सुख के लिए वह उन सभी कार्यों को करता है जिससे उनके जीवन में हरियाली आई और जीवन पर्यंत ऐसा ही हो ऐसा सोचते हैं लेकिन सुख के लिए बहुत ऐसे व्यक्ति है जो अनेक तरह का नकारात्मक कार्य हानिकारक कार्य कर बैठते हैं और बाद में सोचते हैं कि ऐसा नहीं करना चाहिए और पश्चाताप भी करते हैं और उसके बाद से नहीं मिलता है इन सभी वृत्तियों को त्यागने के लिए अर्थात पाप से मुक्ति के लिए भी उपाय है भगवान बुद्ध ने कहा कि दुख के चार कारण है पहला दुख है दुख का कारण है दुख का निरोध है और दुख दूर हो सकता है ठीक उसी प्रकार जब आप जाने या अनजाने में अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए कोई दुख कार्य कर बैठते हैं जिससे आपको आगे दुख भोगना पड़ेगा अगर आप यह जानकर के पश्चाताप करते हैं और उसका उपाय खोजते हैं अगर आपके मन में यह विचार आए कि इसका उपाय नहीं है यह दुख दूर नहीं हो सकता है पाप नहीं नष्ट हो सकता है तो आप इस तरह के मन में विचार को किला त्याग दीजिए और बीसवीं सदी के महान संत सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के बताए मार्ग पर चलिए और उसके शरण में आइए एक बार सतगुरु महाराज अपने प्रवचन के क्रम में कह रहे थे कि जो साधक को मानस ध्यान शुद्ध शुद्ध 1 सेकंड भी बन जाता है तो उसका पाप जलकर राख हो जाएगा और यह ध्रुव सत्य इसलिए एकाग्र चित्त होकर के जो ईश्वर का चिंतन भजन सुमिरन करते हैं और अगर उसका ध्यान सुदृढ़ रूप से बनता है अगर ठीक ठीक मानस ध्यान अगर 1 सेकंड भी बन जाए तो उसका पाप नष्ट हो जाएगा उसके मन में निर्मलता आएगी और वह सुख में जीवन जिएगा और उर्ध्व गति की ओर बढ़ेगा अगर आप सत्कारी की बात को सुनते हैं और उस पर सोचते हैं तो इससे भी सुख की अनुभूति होती है और जब आप उस कार्य को करते हैं तो सुख के दरवाजे की ओर चलते हैं और जब आप उस रास्ते पर बढ़ते जाते हैं तो सुखी खजाना की ओर बढ़ते जाते हैं और जब आप सुषुप्ति लेकर ध्यान अभ्यास करते हैं और शुद्ध शुद्ध पवित्र मन से निष्कपट निश्छल हो करके जब करने के बाद अगर आपका ध्यान बन जाता है तो समझिए आपके जन्म जन्मों का जन्म जन्मांतर का जो पाप है सब नष्ट होगा आपके जिंदगी में उजाला आएगा और आप का अलौकिक और पारलौकिक जीवन बहुत हैं सुख में होगा

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