🧘♂️बीसवीं सदी के महान संत बीसवीं सदी के विश्व किरण पुंज सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी के 140वीं पावन जयंती के अवसर पर उनके चरण कमलों में यह पद समर्पित है और भक्तों के लिए सारगर्भित है !!
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"बीसवीं सदी में लिए अवतार
बाबू जन बाबू के दुलार।।
मधेपुरा खोखसी श्याम मझुआ ग्राम
मधेपुरा को बना दिये पवित्र धाम ।।
वैशाख शुक्ल चतुर्दशी
जन्म लिये यही मसी।।
सर पर सात जटा लेकर आये
देख सबके होठ मुस्कराये ।।
ज्योतिषी भी सटीक अनुमान लगाये
विश्व किरण पुंज बन जग में छाये ।।
मानव जीवन में सिद्ध कर दिखाये
प्रभु भक्ति का साधना बताये ।।
पूर्णिया जिला स्कूल में शिक्षा लेने आये
प्रवेशिका प्रश्नपत्र का उत्तर लिखते सकुचाये।।
मानव जीवन को सफल करने चल दिये
रामचरितमानस के पद को आत्मसात किये ।।
बाबा देवी साहब के जब शरण गये
सभी इच्छा से परिपूर्ण हो गये।।
सदयुक्ति से भक्ति किये अपार
18 माह तपस्या कर पाया जीवन सार ।।
कुप्पाघाट में किये खूब ध्यान
शब्द का पाया निज ज्ञान ।।
संतमत का किया विश्व प्रचार
मानव को बताया जीवन सार।।
लाखों बार पैदल चल किया प्रचार
बता गये सबों को जीवन का सार।।
कह दिये सब मानव प्रभु भक्ति कर सकते
प्रभु तक के लिए और न कोई रास्ते ।।
संतमत के ज्ञान को सरल सरल समझायें
मानस जप ,ध्यान, योग और शब्द बतलाये।।
101 की अवस्था में मानव चोला छोड़ गयें
जाते वक्त भक्तों बचना पंचपाप से कह गये ।।
बीसवीं सदी में बाबा में ही आए
विश्व का किरण वन अलख जगाए।।
अज्ञानता को पार करके
सबके जीवन में प्रकाश लाए,
जीव उद्धार के लिए
बीसवीं सदी में बाबा मेंहीं आए"।।🧘♂️🧘♂️
इस पद में बीसवीं सदी के महान संत सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के संक्षिप्त जीवनी को दर्शाया गया है इसे पढ़ने के बाद भक्तों के मन में और सज्जनों के मन में अध्यात्मिक क्षेत्र से जुड़ने का लगा होगा और आत्मिक उन्नति की ओर अग्रसर भी होगा आज के इस घोर कलिकाल में सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज के बानी अमृत माई वाणी उसे आनंद प्रदान करेंगे सद्गुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज इस धरा धाम पर मधेपुरा जिला के कुक्षी श्याम मझवा ग्राम में जन्म लिए और जन्म के वक्त उसके माथा में 7 जता था और उस जता घटा को सुलझाने के बाद भी फिर उलझ जाता था और जब कोई ज्योतिषी ने देखा तो कहा कि यह महान संत बनेंगे और आगे चलकर हुआ भी वही पढ़ाई के लिए उसे पूर्णिया जिला स्कूल में दिया गया और वहां पर जब वह प्रवेशिका की अंग्रेजी में प्रश्न पत्र का उत्तर दे रहे थे और उस वक्त उत्तर देने मेवा रामचरितमानस की चौपाई लिखें और उसका जब व्याख्या किए कि मनुष्य के जीवन में सुख और कुकर्म रूपी ईट से घर बन रहा है और उसका जीवन यूं ही बीत रहा है इस तरह के बात को सोच कर के उन्होंने तक्षण विद्यालय से प्रस्थान किए और निकल गए आत्म अनुसंधान के लिए बहुत भटके कुछ वर्षों तक भागलपुर में रामानंद स्वामी के शरण में भी गए उसका खूब सेवा किए भक्ति का पद्धति भी जाना लेकिन जिसका वह खुद कर रहे थे वह नहीं मिल पा रहा था संतुष्टि नहीं मिलने के कारण वह हमेशा चिंतित रहता था तो एक संतमत अनुयाई ही सद्गुरु बाबा देवी साहब के बारे में बताया अंत में जाकर के सद्गुरु बाबा देवी साहब मिले और जब उसके पास गए उन्होंने ज्ञान बताया तब जाकर कि उन्हें पूर्ण संतुष्टि मिली और साधना करके पूर्ण संत के रूप में अवस्थित हो गए aur और ज्ञान के प्रचार करने के लिए संतमत का नियम और पद्धति को बनाया मानव जब मानस ध्यान दृष्टि साधन और सुरत शब्द योग को संतमत की कसौटी पर कसा हुआ बताया और यह ज्ञान को सिद्ध करके दिखाया और घर घर जाकर के सबको संतमत के ज्ञान को बतलाया मनुष्य तन में सब भक्ति कर सकते हैं इसको समझाया और अपने देश में आध्यात्मिक उन्नति के लिए अनेकों तरह के कार्यक्रम किए और 101 वर्ष की उम्र में इस धरा धाम से विदा हुए ब्रह्मलीन हो गए और आज अदृश्य रूप में हम सभी भक्तों का हर समय हर वक्त रक्षा करते हैं रास्ता दिखाते हैं और दुख का निवारण करते हैं आज हम सभी भक्तों का दायित्व बनता है की सद्गुरु के बताए मार्ग पर चले साधना करें तो गुरु देव की पूर्ण सेवा होगी जय गुरु
गुरुवार, 16 मई 2019
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श्री सद्गुरवें नमः आचार्य श्री रचित पुस्तक "पूर्ण सुख का रहस्य" से लिया गया है।एक बार अवश्य पढ़ें 👇👇👇👇👇👇👇👇 : प...
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