एक बार एक व्यक्ति ने अपने शिक्षा के आधार पर अनेकों पदवी पद पाया इतना पाने के बाद भी उसके जीवन में सब खजाना तो मिल गया लेकिन असली सुख का खजाना नहीं मिल पाया और उन्होंने सोचा कि दुनिया का ऐसा कौन किताब है जिसमें सुख का खजाना है मैंने इतना पढ़ा उसमें एक ही बात जाना कि जिसको जितना धन होता है उसको उतना सुख होता है शांति मिलता है लेकिन मैंने लाखों पुस्तक पड़ा लेकिन ऐसा पूर्ण सुख और शांति का अनुभव थी अभी तक नहीं हुआ है इसलिए मैं अभी तक सुख का खजाना खोज रहा हूं ऐसा देख कर के एक साधु ने उस व्यक्ति से कहा की मित्रों आप जिस सुख की खजाना को खोज रहे हैं वह बाहर की पुस्तक में मिलने वाला नहीं है इतना वह व्यक्ति ने जैसे ही सुना उसके मन में अनेकों जिज्ञासा होने लगी और उसके मन में लगा कि कहीं इसका समाधान यही तो नहीं बता दे हुआ भी वही उस व्यक्ति ने पूछा कि क्या और सुख का खजाना कहीं है तो साधु ने कहा देखो दुनिया में तुम कितना भी धन अर्जन कर लो कितना भी पदवी पालो लेकिन असली सुख का खजाना बाहर के पुस्तक में नहीं है अपने अंदर के तह तह वाले पुस्तक में छिपा हुआ है अगर तुम उसका अध्ययन करोगे तो जरूर ही तुम अमित सुख पाओगे तो उस सज्जन ने कहा मैं तो बाहर की पुस्तक तू देख सकता हूं पढ़ सकता हूं लेकिन मैं अंदर की पुस्तक को कैसे पड़ा तो साधु ने कहा इसके लिए भी उपाय हैं जिस तरह से तुम पहले पुस्तकालय जाते हो फिर पुस्तक खरीदते हो उसके बाद उसका अध्ययन करते हो तब तुम को पुस्तक का ज्ञान होता है ठीक उसी तरह सबसे पहले अगर तुम सुख चाहते हो तो सदाचरण को धारण करना होगा सदाचार का पालन करना होगा संयमित जीवन बिताना होगा और पंच पापों से बचना होगा और उसके बाद एक ईस्ट पर विश्वास करके उसके बताए हुए मार्ग पर आगे अंदर की ओर चले चलोगे तो अंदर का वह खजाना तुमको जैसे जैसे मिलता जाएगा वैसे वैसे तुम को सुख का खजाना मिलता जाएगा और वहां पर ऐसा सुख है जो कभी नष्ट नहीं होने वाला है जो कभी खत्म होने वाला नहीं है जिससे तुम कभी नहीं लगा सकते हो कभी नहीं उससे तुमको अलग होने का मन कर सकता है और वह व्यक्ति पूर्ण रूप से संतुष्ट हो गया
बुधवार, 15 मई 2019
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श्री सद्गुरवें नमः आचार्य श्री रचित पुस्तक "पूर्ण सुख का रहस्य" से लिया गया है।एक बार अवश्य पढ़ें 👇👇👇👇👇👇👇👇 : प...
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