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शनिवार, 8 जून 2019

मेरी आहें भाग 8

आज मैं आप लोगों के बीच उस तथ्यों को सामने रख रहा हूं जब मैं एक बात से डिप्रेशन में आ गया था बात 2016 की है उस समय मैं गढ़िया में पढ़ाता था सुरेंद्र यादव के दरवाजे पर पढ़ाता था वहां पर नाइंथ दशमा और इंटर का विद्यार्थी पढ़ने के लिए आता था और सभी को मैं पढ़ाने का कार्य करता था बच्चा बहुत कम रहता था एक दिन मैं गढ़िया में ही घूम रहा था मेरे साथ में अमित कुमार था जिसका एक क्लास फ्रेंड प्रवीण था वह हमेशा चिढ़ाने का ही काम करता था और चिढ़ाने के क्रम में कह दिया कि अगर तरुण ज्यादा ही जानता है तो कोचिंग क्यों नहीं खोल लेता क्यों किसी के दरवाजे पर पड़ता है नहीं जानता है इसलिए ना यह बात उसको चुभ गया और बोला कि अच्छा उसके बाद जब वह हमसे मिला कहता है कि अगर पढ़ाना है तो कोचिंग खोलिए अगर नहीं पढ़ाना है तो पटना चलिए अब यहां पर अब यहां पर एक बात बहुत ही सोचने वाली हो गई अगर यहां से चले जाता हूं तो सोचेगा कि यह भाग गया नहीं जानता था यह सोचकर मैंने निर्णय लिया कि कोचिंग खोलूंगा और उसके बाद पता किए तो थाना गाछी टोला चूड़ा मिल के पास जय कृष्ण यादव का जमीन खाली हुआ था उससे गया बात करने के लिए कि आपका जमीन खाली है और हो सके तो ₹1000 तक महीना दे सकते हैं आपको हमें कोचिंग खोलने के लिए जमीन देना चाहिए वह तो हम ही भर दिया और मैं दूसरे दिन मधेपुरा चला गया उस समय मैट्रिक का परीक्षा चल रहा था और उस दिन मैं मधेपुरा में ही रह गया और उसी रात में जय कृष्ण यादव के यहां उसका भाई रामकृष्ण यादव और संतन कुमार दोनों ने जा करके बात कर लिया कि वह जगह हमको दीजिए तरुण कुमार को नहीं दीजिए हम आपको ₹30000 एडवांस में देंगे और 25 सौ रुपया महीना भी देंगे यह बात सुनकर के पैसा का लोभी बात का भेलू नहीं रखने वाला जयकृष्ण यादव ने उसको हां भर दिया जब मैं दूसरे दिन उसके दरवाजे पर गया इधर से उधर भागने लग गया क्योंकि वह तो लोग में फंस गया और उससे बात कर लिया था जिसके कारण वह हमसे खुलकर बात नहीं करता था और कहता था कि जो पहले भारा पर आता था वही फिर रहेगा ऐसा कह कर कि मुझे 3-4 दिनों तक टाला तब उसकी पत्नी बोली कि वह संतन से फाइनल बात कर लिए हैं इसलिए वह बगल कट रहा है मैंने कहा कि जब मुझसे बात कर के पीछा हट सकता है तो उसी तरह उससे भी करे और मैंने रोज उसके यहां गया और अपना बात रखा मैं अपने हिम्मत को चूर नहीं होने दिया और हिम्मत से काम लिया और उसको बोला कि सबसे पहले मैंने आपको बोला था तो बोला कि देखो तुम्हारे पास भी रुपया नहीं है तुम्हारे पास उतना बच्चा नहीं है और तुम्हारे पास 25 ₹100 महीना देने के लिए भी अभी महफूज नहीं है इसलिए यह जमीन में संतान कुमार को दूंगा मैंने कहा कि जब मैं इस जमीन पर आ गया हूं तो यह जमीन में ही लूंगा और आपको ₹30000 दूंगा और ₹25 महीना भी नहीं रुपया रहने के बावजूद भी मैंने यह बीड़ा उठाया हिम्मत से काम लिया और संतान कुमार को उस जमीन पर पैर रखने नहीं दिया उसके बाद मैंने कोचिंग खोला और अपना नियम और सटीकता से पढ़ाना शुरू किया तो पहले दिन ही 150 क्रॉस कर गया जब लोगों ने देखा सब ने सोच में डूब गया सब बोल रहा था किसके पास तो बच्चा नहीं था तो फिर आया कहां से मैंने कहा कि जब मैं कोई कार्य करता हूं तो उससे पहले उसका रणनीति बना लेता हूं उसके बाद ही मैदान में कदम रखता हूं और मैं ऐसा ही किया और उसके बाद जब मैं पढ़ाना शुरू किया तो संतान कुमार का अधिकांश बच्चा काट लिया उसके बाद उसको जोड़ों का मिर्ची लग गया मैं बात वहां तक नहीं ले जाना चाहता हूं मैं आप लोगों को बताना यह चाहता हूं कि अपना जमीन नहीं रहने पर अपना आवास नहीं रहने पर एक तरह से रूम रेंट देने पर भी तरह तरह का बात सुनना पड़ता है और अनेकों कठिनाई का सामना करना पड़ता है जिस समय में उस कोचिंग को खुलने जा रहा था तो उन्होंने कहा था कि चारों ओर से boundary दे देंगे 6 रूम बना कर देंगे लेकिन धीरे धीरे जब रुपया सब ले लिए तो सिर्फ ऊपर से टीना दे कर के और टट्टी का टाट लगा कर के बुला रुपया खत्म हो गया अब कैसे होगा बुला अगले साल और इस तरह से साल बीत गया लेकिन वही हाल रहा और समय-समय पर रुपया मांगते रहता तरह तरह का बात करते रहता भाग नहीं जाता है दूसरे को देते तो हम को तुरंत रुपया देता जबकि मैं ₹30000 उसको पहले दे दिया था फिर भी उसकी पत्नी तरह तरह की बात कहती तरह-तरह की यातनाएं वाला बयान देती और सरसों के रहता और उस समय यही होता था कि या तो कोचिंग बंद कर दें या तो इसको मैं भी जवाब दूं लेता अगर मेरे पास भी जमीन रहता तो इस तरह का नौबत नहीं रहता पर आश्रित जीवन नहीं जीना पड़ता अगर अपना जमीन नहीं रहे किसी दूसरे का जमीन पर रहता है तो पर आश्रित ही एक तरह से जीवन जीना अनुभव सा रहा 2017 में जब जय कृष्ण यादव और रामकृष्ण यादव दोनों भाई में जिस जमीन पर कोचिंग था उस जमीन पर विवाद हुआ तो थोड़ा दिल हल्का हुआ कि चलो यहां से अब दूसरा जगह प्रस्थान किया जाए और उसके बाद मैंने सोचा भी कि कहीं दूसरा जगह कोचिंग खोलेंगे अच्छा से जीवन जिएंगे जब दोनों भाई में लड़ाई हुआ एक दिन ऐसा नौबत होगा कि कोचिंग में सभी बच्चा पढ़ रहा था उस समय रामकृष्ण यादव पूरा फैमिली के साथ आकर के कोचिंग में ही लड़ाई करना शुरू कर दिया लाठी भाला का लड़ाई शुरू कर दिया और ऐसा स्थिति देख कर के मेरा मरण हो गया और पूरा गांव वालों ने भी सपोर्ट किया यहां से खाली कर दो यह जो है केवल खून चूसने वाला आदमी है तुम्हारा बच्चा को कुछ हो जाएगा तो कौन आएगा पढ़ने के लिए और यह जगह जो लड़ाई करने वाला हो गया है तो यहां पर कोई नहीं आएगा पढ़ने के लिए और मैं भी सोचता था किसी तरह से यहां खाली कर दो उसके बाद टिकुलिया में विनोद यादव से गया बात करने के लिए जब उससे बात हुआ उन्होंने भी पहले तो मीठी मीठी बातें किया उसकी पत्नी ने बोला 67 रूम का मकान बना देंगे और बाउंड्री दे देंगे आप सिर्फ हमको रूम रेंट देते रहिएगा लेकिन समय आने पर पूरा मुंह फेर लिया तरह तरह का बात करने लग गया और रुपया मांगने लग गया कि अगर आपके जगह दूसरा को देखते तो वह एडवांस में रुपया देता आप लोग कोई काम का नहीं है और दूसरे के पास बोलता कि चलो जब तक मेरा बच्चा मैट्रिक इंटर कर लेता है तब तक तो इसको रहने देते हैं बाद में इस लल्लू चप्पू को कौन पूछता है और इस तरह से यहां भी वही जात ना वही तनहा वही बात सुनने के लिए मिलता और इसमें हद तक हमारे साथ में जो था अमित बाबू उसके कारण भी हुआ उसका पूरा मन था वहां पर जाकर कोचिंग खोलें और अपना अय्याशी सुख सुविधा में डूबा है और हुआ भी वही मैं भी क्या करता हूं क्योंकि कोचिंग तो खोलना था जयकृष्ण यादव की जमीन से कोचिंग को हटाना था इस तरह से मैंने दोनों जगह तरह तरह का बात सुना तरह-तरह का यातना से है और सह सह के मैंने रहा क्योंकि मेरा सिद्धांत था जो सहता है वहीं बढ़िया से रहता है और इस तरह यहां भी जीवन काटा और इस अवधि में जब तक मैंने कोचिंग खुला मेरे साथ में जो था इन्होंने भी तरह तरह का बात बोला तरह तरह का पीछा में धमकी दिया क्योंकि मैंने उसे बनाया था उसे इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए लेकिन फिर भी अपने नाम को बढ़ाने के लिए अपना चमकने के लिए तरह तरह का बात बोलते हैं लेकिन सोना सोना होता है और पीतल पीतल ही होता है समय आने पर उसको अपना स्थिति का अपना आधार का अपना जगह का और अपना हैसियत का पता चल गया तो शांत हो गया और मैंने बहुत आयात ना सहा अगर सच कहूं अगर किसी के सामने बयां करने का प्रयास करता हूं आंखों में आंसू टपक आता है इस तरह मेरा कोचिंग के कठिन सा अनुभव रहा

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