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शनिवार, 22 जून 2019

माया का जाल

एक राज में एक राजा रहता था वह बहुत ही प्रतापी था और न्याय प्रिय भी था अपने राज में हमेशा स्वच्छ शासन कायम रखता था एक बार की बात है उसके राज में ही एक बाहर से पहलवान आया जो हटा कट्ठा लंबा-चौड़ा कद का था और जब वह राज दरबार में आया तो उसको राज में स्वागत किया गया और वह पहलवान ने राजा से ही एक शर्त रख दिया कि आपका राज का ऐसा कोई पहलवान है जो मुझे हरा दे तब मैं समझूंगा कि आप के राज में भी दम है तो राजा ने पूरे राज्य में सूचना दे दिया कि जितने भी पहलवान हैं एक यह जो बाहर से पहलवान आया है इसे आकर मल युद्ध करो और इसे पराजित करो यह सूचना पूरे राज में फैल गया लेकिन जैसे ही उस पहलवान के बारे में पता चलता सब पीछे हट जाता क्योंकि वह बहुत ही पहचान वाला पहलवान था जिसका नाम सुनते ही दूसरा पहलवान अर्थात राज का पहलवान डर जाता था और चुनौती कोई शिकार करने के लिए तैयार नहीं हुआ तो बाहरी पहलवान ने कहा कि राजा तुम्हारे राज में एक भी पहलवान नहीं है सब शायद लगता है नामर्द ही है उसके बाद राजा पूरे सोच में डूब गया कि कैसा मेरा राज है कि आज मेरे राज में एक पहलवान के लिए भी तरस रहे हैं यही सोच में डूबा हुआ था संयोग की बात है उसी राज में एक जेल में एक पहलवान था जो उसी राज्य का था वह जेल में हथकड़ी से बंधा हुआ था उन्होंने अपने जेलर से कहा कि आप राजा को खबर कीजिए कि मैं उस पहलवान को पछाड़ दूंगा आप मुझे आदेश देने का कृपा करें जब यह सूचना जेलर ने राजा को सुनाया तो राजा बहुत प्रसन्न हुआ और वह दौड़े-दौड़े वह जेल के पास पहुंचा जो कैदी बोल रहा था कि मैं पहलवान से लड़ लूंगा जब उसको को देखा तो राजा को विश्वास नहीं हुआ कि यह कैदी उस बाहरी पहलवान को पछाड़ सकता है लेकिन फिर भी बोला चलो कम से कम तुम तो हिम्मत दिखा रहा है राजा ने आदेश दिया जेलर को की से जेल से रिहा करो और इसका हथकड़ी खोलो और संयोग की बात है उस समय उसके हथकड़ी की चाबी कहीं खो गई थी और राजा को भी विश्वास दिलाना था कि मैं उस बाहरी पहलवान को पछाड़ सकता हूं तो वह कैदी ने अपना जैसे ही अपना ताकत लगाया उसका हाथ का और टांग का जो बेरी था वह टूट कर गिर गया यह देख कर के राजा आश्चर्य में पड़ गया और उसे विश्वास हुआ कि शायद यह उसे पछाड़ देगा लेकिन राजा ने उसके जी से पूछा कि जब यह तुम बेरी को अभी तोड़ सकता है तो पहले क्यों नहीं तुम तोड़ कर भाग गया तुम तो इस तरह का हथकड़ी और बेरी को तोड़ कर आराम से भाग सकता था लेकिन ऐसा क्यों नहीं किया तो इस पर उस कैदी ने जवाब दिया कि हां मैं इस जेल को और इस पीढ़ी को इस हथकड़ी को तुरंत तोड़ सकता था लेकिन मैं माया के जाल में बंधा रहा तो राजा ने पूछा कौन माया का जाल तो उन्होंने कहा कि मेरा परिवार में अभी पत्नी भाई पुत्र पुत्री से भरा पूरा परिवार है और मैंने सोचा कि अगर मैं इस वेरी को तोड़ कर भाग जाऊं तो आप मेरे परिवार को तरह-तरह का यातना देंगे और इसी बंधन के कारण इसी माया मोह के बंधन के कारण मायाजाल के कारण मैं इस हथकड़ी के बंधन में पड़ा रहा नहीं तो मैं मजबूर नहीं रहता मैं इस बंधन में परा नहीं रहता अर्थात कहने का आशय यह है कि माया के बंधन में क्या सांसारिक बंधन में जो पड़े हुए रहते हैं उसे जो सत्कार करना चाहिए उसे जो अपना लक्ष्य की और आगे बढ़ना चाहिए उसे जो परमार्थिक कार्य करना चाहिए वह नहीं कर पाता है जब तक इस तरह के बंधन को आप त्याग नहीं करते हैं तब तक आपका परमार्थी की यात्रा में बहुत कठिनाई होती है यह तो एक प्रसंग था लेकिन असली बात तो यह था कि इस बात का व्याख्या करना किमाया में पड़े रहने से कल्याण जल्दी संभव नहीं है संसार में रहते हुए संसार से आ सकती हटा करके अगर प्रभु का भक्ति करते हैं तब आप इस माया के जाल से निकल सकते हैं इस माया के जाल को काट सकते हैं

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