एक बार की बात है एक बूढ़ी माता को यमराज स्वर्ग लेने के लिए आई वह माई सत्संग भजन ध्यान साधना गुरु भक्ति और साधु की सेवा और सदाचरण से अपना जीवन व्यतीत करते थे जब उसके अंत समय आया तो उसके पास यमराज पहुंचा और उससे आदर पूर्वक प्रेम के साथ चलने को कहा जब वह माई यमराज के साथ चलने लगा तो उसके मन में कुछ भावना निकल रही थी और वह भावना को यमराज ने समझ लिया और पूछा माई जान कोई और बात जानना चाहती हो तो इस पर कुड़ी ब्राह्मणी ने कहा कि मैंने सिर्फ सुना हूं स्वर्ग और नरक मुझे आप कहां लेकर चलिए गा तो इस पर यमराज ने कहा कि माता नहीं तो तुमको शर्म ले जाएंगे ना ही तुम को नर्क ले जाएंगे तुमको इस सब से छुटकारा मिल गया तो बूढ़ी माई ने कहा कि यमराज महोदय मेरा एक इच्छा है कि एक बार स्वर्ग और नरक में देखना चाहता हूं कि स्वर्ग में क्या होता है और नरक में क्या होता है यमराज ने उनकी प्रार्थना को टाल नहीं सका और उसको सबसे पहले नर्क में ले गए और जैसे ही नरक में ले गए वहां पर जितने भी जीवित हैं सब आकुल व्याकुल त्राहि मान और त्राहि-त्राहि स्थिति माता का बहुत मन में व्याकुलता और तभी उन्होंने देती है कि एक 300 फुट ऊंची दीवार पर एक चांदी का चम्मच रखा हुआ है तो यमराज महोदय से बूढ़ी माता ने पूछा की यह खंबा कौन है यमराज ने कहा यहां जितने भी जीव है किसी से पूछ लो माई वह सब बात बता देगी बूढ़ी माई ने जैसे ही एक जीव से पूछा तो उन्होंने कहा कि यहां 300 फुट के ऊपर एक चांदी का चम्मच रखा हुआ है और उस चांदी के चम्मच में लगा लव फिर से भरा हुआ है बूढ़ी माई ने उनसे पूछा की यह खीर का क्या काम तो उन्होंने कहा कि यह खीर जो खाएगा वह पूरा स्वस्थ रहेगा तंदुरुस्त रहेगा उसको कोई तरह का विकार नहीं होगा और हम लोग अभी तक यह खीर नहीं खा पाए हैं क्योंकि हम लोग वहां तक नहीं पहुंच पा रहे हैं इसलिए हम लोग दुखी हैं फिर वहां से फिर वहां से बूढ़ी माता को यमराज ने स्वर्ग का सैर कराने के लिए चल दिए जब जब यमराज महोदय बूढ़ी माता को स्वर्ग में ले जाते हैं तो वहां भी वही नजारा देखते हैं कि स्वर्ग में भी वह 300 फुट ऊंचा दीवार है और उस दीवाल पर एक चांदी के चम्मच में लबालब खीर भरा हुआ है लेकिन वहां पर जितना भी लोग था जितना भी जीव थे सब हंसी किलकारी लगा रहे थे सभी खुश थे तो बुड्ढी माता ने उन सब से इस मुस्कान का कारण पूछा उन्होंने कहा कि हम लोग जब से आया हूं पुष्ट खाता हूं फूलों का कोई तरह का विकार नहीं है हम लोग पूरा स्वस्थ हो और हम लोग खुशी-खुशी यहां पर जिंदगी जी रहे हैं हम लोगों को कोई भी समस्या नहीं है कोई भी दिक्कत नहीं है इसलिए हम लोग खुशी से अपना गाड़ी लगा रहे हैं तो इस पर बूढ़ी माता ने पूछ बैठी की आंखें यह खुशी का राज क्या है उन्होंने कहा यह 300 फुट ऊपर जो देख रही हो चांदी के चम्मच में खीर है उसको हम लोग जाकर के भरपेट खाते हैं और आरामदायक जिंदगी जीते हैं तो इस बार बूढ़ी माता ने उन सब से पूछा आखिर तुम लोग यह खीर कैसे खा लेते हो तो इस पर वह अजीब सब ने बोला यहां पर अनेकों पेड़ पौधे लगे हुए हैं बड़े बड़े वृक्ष हैं उन सब को ही हम लोगों ने काट कर एक बड़ा शिडी बनाया हूं और उस सीधी के सहारे यह 300 फुट दीवाल पर चढ़ जाता हूं और वहां पर बारी-बारी से खा लेता हूं तब बूढ़ी माता को समझ में आया कि स्वर्ग और नरक में क्या फर्क है स्वर्ग में भी वही चीज है और नर्क में भी वही चीज है फर्क एक बात का है कि अगर जो कर्म कर रहा है तो उसके सोने के चम्मच का फिर मिल रहा है चांदी के चम्मच का फिर मिल रहा है और जो मेहनत नहीं कर रहा है वह नरक में जीवन जी रहा है और वह दुख में जीवन जी रहा है और यही बात संसार में भी है जो मेहनत करते हैं वह अच्छा जीवन जीते हैं वह स्वर्ग की भांति जीवन चुके हैं जो कर्म नहीं करते हैं वह अच्छा जीवन में जीते हैं कष्ट जीवन जीते हैं इसलिए
सोमवार, 22 जुलाई 2019
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