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रविवार, 15 सितंबर 2019

शीतली प्राणायाम कैसे करें

भारत ऋषि महर्षि ओं का देश है और उसकी तपस्या का फल ही है योग और प्राणायाम और आज उसी योग प्राणायाम को पूरा विश्व में अपनाने का प्रण किया है और मैं आज आप लोगों को एक नया प्राणायाम "शीतली प्राणायाम" के बारे में बताने जा रहा हूं शीतली प्राणायाम कैसे करें विधि:- सबसे पहले किसी भी ध्यान वाले आसन में बैठ जाय हाथ घुटने पर रखें जिव्हा को नाली नुमा मोड कर मुंह खुला रखते हुए मुंह से पूरक करें जिह्वा से धीरे-धीरे श्वास लेकर फेफड़े को पूरा करें और कुछ क्षण रुककर मुंह को बंद करके दोनों नासिकाओ से रेचक करें उसके बाद पुनः जिह्वा को मोड़कर मुंह से पूरक और नाक से रेचक करते रहेंगे यह क्रिया 8 से 10 बार करेंगे तो अच्छा रहेगा और शीतकाल में इसका अभ्यास कम मात्रा में करें विशेष:- कुंभा के साथ जालंधर बंध भी लगा सकते हैं कफ प्रकृति वाले और टॉन्सिल वाले रोगियों के लिए सीतली और शीतकारी प्राणायाम नहीं करना चाहिए लाभ:- 1.जिव्हा मुंह और गले के रोग में लाभप्रद हैं प्लीहा ज्वार आदि ठीक होते हैं 2.इसकी सीधी से भूख प्यास पर विजय प्राप्त होती है ऐसा योग ग्रंथ में भी प्रमाण दिया गया है 3.उच्च रक्तचाप को कम करता है 4.पित्त के रोगों में लाभप्रद है रक्त शोधन भी करता है

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