भारत ऋषि महर्षि ओं का देश है और उसकी तपस्या का फल ही है योग और प्राणायाम
और आज उसी योग प्राणायाम को पूरा विश्व में अपनाने का प्रण किया है
और मैं आज आप लोगों को एक नया प्राणायाम
"शीतली प्राणायाम"
के बारे में बताने जा रहा हूं
शीतली प्राणायाम कैसे करें
विधि:-
सबसे पहले किसी भी ध्यान वाले आसन में बैठ जाय
हाथ घुटने पर रखें जिव्हा को नाली नुमा मोड कर मुंह खुला रखते हुए मुंह से पूरक करें
जिह्वा से धीरे-धीरे श्वास लेकर फेफड़े को पूरा करें
और कुछ क्षण रुककर मुंह को बंद करके
दोनों नासिकाओ से रेचक करें
उसके बाद पुनः जिह्वा को मोड़कर मुंह से पूरक
और नाक से रेचक करते रहेंगे
यह क्रिया 8 से 10 बार करेंगे तो अच्छा रहेगा
और शीतकाल में इसका अभ्यास कम मात्रा में करें
विशेष:- कुंभा के साथ जालंधर बंध भी लगा सकते हैं
कफ प्रकृति वाले और टॉन्सिल वाले रोगियों के लिए सीतली और शीतकारी प्राणायाम नहीं करना चाहिए
लाभ:-
1.जिव्हा मुंह और गले के रोग में लाभप्रद हैं
प्लीहा ज्वार आदि ठीक होते हैं
2.इसकी सीधी से भूख प्यास पर विजय प्राप्त होती है
ऐसा योग ग्रंथ में भी प्रमाण दिया गया है
3.उच्च रक्तचाप को कम करता है
4.पित्त के रोगों में लाभप्रद है रक्त शोधन भी करता है
रविवार, 15 सितंबर 2019
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