आज हम लोग प्राणायाम की अगली कड़ी में जानेंगे शीतकारी प्राणायाम के बारे में
शीतकारी प्राणायाम कैसे करें
शीतकारी प्राणायाम करने की विधि
विधि :-
किसी ध्यान वाले आसन में बैठकर
जिह्वा को ऊपर तालुमें लगाकर
ऊपर नीचे की दंत पंक्ति को एकदम सटाकर
होठों को खोल कर रखेंगे
अब धीरे-धीरे सी-सी की आवाज करते हुए मुंह से सांस लें
और फेफड़ा को पूरी तरह भर लें
जालंधर बंध लगाकर जितनी देर आराम से रुक सके रुके
फिर मुंह बंद कर नाक से धीरे-धीरे रेचक करें
पुनः इस तरह की क्रिया को करते रहे
और यह क्रिया 8 से 10 बार अभ्यास करना चाहिए
शीतकाल में इस आसन का अभ्यास अगर कम मात्रा में करते हैं
तो अच्छा रहेगा
विशेष :-
बिना कुंभक और जालंधर बंध के भी अभ्यास कर सकते हैं
पूरा के समय दांत और जिव्हा अपने स्थान पर
स्थिर रहना चाहिए
लाभ:-
1.शीतली प्राणायाम की तरह है दंत रोग भेड़िया आदि के अतिरिक्त गले मुंह नाक जिह्वा के रोग भी दूर होते हैं
2.निद्रा कम होती है और शरीर शीतल रहता है
3.उच्च रक्तचाप में 50 से 60 तक आवृत्ति करने से लाभ होता है
सोमवार, 16 सितंबर 2019
सीत्कारी प्राणायाम कैसे करें
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