भारत की योग की विशाल परंपरा को दुनिया ने माना
और आज उस विशाल परंपरा को याद दिलाते हुए
आज आप लोगों के सामने भ्रामरी प्राणायाम के बारे में बताने जा रहा हूं
भ्रामरी प्राणायाम कैसे करें
सबसे पहले स्वास पूरा अंदर भरकर मध्यमा अनामिका और कनिष्ठा से नासिका के मूल में आंख के पास से दोनों ओर थोड़ा दवाएं
मन को आज्ञा चक्र में केंद्रित रखें
फिर उसके बाद अंगूठा के द्वारा दोनों कानों के ढक्कन अर्थात कान के पास जो उभरा हुआ भाग है
को दबाकर कान को बंद करना चाहिए
उसके बाद तर्जनी को मस्तक पर रखेंगे
अब भ्रमर की भांति गुंजन करते हुए श्वास को बाहर ओम का उच्चारण करते हुए बाहर छोड़ते जाएंगे
हवा नाक से ही बाहर निकालेंगे
यह हमेशा ध्यान रखेंगे मुंह से नहीं पुनः
इसी तरह आवृत्ति करेंगे कम से कम यह तीन बार करना चाहिए
और अधिक से अधिक सात आठ बार अगर हो जाए तो बहुत अच्छी बात है
अब इससे लाभ
🧘♂️लाभ :-
1.मन की चंचलता दूर होती है
2.मानसिक तनाव उत्तेजना रक्तचाप हृदयरोग आंख कान एवं गला आदि में लाभप्रद है
3. ध्यान के लिए अति उपयोगी है
4. स्मरण शक्ति बढ़ाता है
शुक्रवार, 6 सितंबर 2019
भ्रामरी प्राणायाम कैसे करें
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