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शुक्रवार, 6 सितंबर 2019

भ्रामरी प्राणायाम कैसे करें

भारत की योग की विशाल परंपरा को दुनिया ने माना और आज उस विशाल परंपरा को याद दिलाते हुए आज आप लोगों के सामने भ्रामरी प्राणायाम के बारे में बताने जा रहा हूं भ्रामरी प्राणायाम कैसे करें सबसे पहले स्वास पूरा अंदर भरकर मध्यमा अनामिका और कनिष्ठा से नासिका के मूल में आंख के पास से दोनों ओर थोड़ा दवाएं मन को आज्ञा चक्र में केंद्रित रखें फिर उसके बाद अंगूठा के द्वारा दोनों कानों के ढक्कन अर्थात कान के पास जो उभरा हुआ भाग है को दबाकर कान को बंद करना चाहिए उसके बाद तर्जनी को मस्तक पर रखेंगे अब भ्रमर की भांति गुंजन करते हुए श्वास को बाहर ओम का उच्चारण करते हुए बाहर छोड़ते जाएंगे हवा नाक से ही बाहर निकालेंगे यह हमेशा ध्यान रखेंगे मुंह से नहीं पुनः इसी तरह आवृत्ति करेंगे कम से कम यह तीन बार करना चाहिए और अधिक से अधिक सात आठ बार अगर हो जाए तो बहुत अच्छी बात है अब इससे लाभ 🧘‍♂️लाभ :- 1.मन की चंचलता दूर होती है 2.मानसिक तनाव उत्तेजना रक्तचाप हृदयरोग आंख कान एवं गला आदि में लाभप्रद है 3. ध्यान के लिए अति उपयोगी है 4. स्मरण शक्ति बढ़ाता है

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