शलभासन कैसे करें आज इसी आसन के बारे में विस्तार से जानेंगे
करने की विधि:-
पेट के बल लेट कर दोनों हाथों को जांघों के नीचे लगाएं
सांस अंदर भरकर दाएं पैर को ऊपर उठाएं
घुटने से पैर नहीं मुड़ना चाहिए थोडी भूमि पर टिकी रहें
10 से 30 सेकंड तक इसी स्थिति में रहे
और यह आवृत्ति 5 से 7 बार करें
दूसरा पोज विधि :-
इसी प्रकार बाएं पैर से करने के बाद दोनों पैरों से भी
शलभासन दो से चार बार अवश्य करें
तृतीय पोज विधि:-
पेट के बल लेट कर दाएं हाथ को कान तथा सिर से स्पर्श करते हुए सीधा रखें
तथा बाएं हाथ को पीछे कमर के ऊपर रखें
सांस भरते हुए आगे से सिर और दाएं हाथ को तथा
पीछे से बाएं पैर को भूमि के ऊपर उठायें ।
चतुर्थ पोज :-
पूर्व अभ्यास के बाद दोनों हाथों को पीठ के पीछे ले जाकर
एक दूसरे हाथ की कलाइयों को पकड़े
सांस अंदर भरकर पहले छाती को यथाशक्ति उठा कर
ऊपर की ओर देखें फिर दोनों ओर से शरीर को
धीरे-धीरे ऊपर उठाएं सांस छोड़ते हुए वापस पूर्व की स्थिति में आ जाएं
लाभ :-
मेरुदंड के नीचे वाले भाग में होने वाली सभी रोगों से छुटकारा मिलता है दूर होता है
कमर दर्द और साइटिका के लिए बहुत ही अत्यंत लाभप्रद है
सर्वाइकल स्पॉन्डोलाइटिस कमर दर्द आदि सभी मेरुदंड के रोगों में अति लाभप्रद है।
गुरुवार, 31 अक्तूबर 2019
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