मुफ्त में भगवान को बदनाम करते हो
कभी न भूखे को अन्न दान करते हो
तुम्हीं कहो कैसे अपने को महान कहते हो।।1।।
तू चुगली -चपाठी भरमार करते हो
सेंधमारी से कभी न इन्कार करते हो
सुकन्या को खाने के लिए पान करते हो
तब न मां बाप को भार समझते हो ।।2।।
पान खाकर होंठ को लाल करते हो
कहने के लिए पालन सदाचार करते हो
दुकानदार से सौदे तुम उधार लेते हो
ऐसे ही नहीं नमरी को हजार गिनते हो।।3।।
दिन रात अहिंसा का पाठ करते हो
घर में जिंदा मछली को सीधे पार करते हो।।
रात में अगर कुछ बच भी जाये तो
सुबह सूर्य उदय से पहले डकार करते हो ।।4।।
~तरुण यादव रघुनियां
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Vah kya
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